महंगे सस्ते की बात कहाँ होती है,
अच्छा तो यही है,कि खरीदा जा रहा है,
अब भी कबाड़ा।
यदि खरीदने वाले भी,
इसे कबाड़ा मान लेते,
तो आपका घर भर गया होता,
इसी कबाड़े से।
अब उन सब का घर चल रहा है,
आपके कबाड़े से।
अब तो कबाड़े से कितने अचरज हो रहे हैं
कहीं बिजली, कहीं खाद, कई ईंधन हो रहे हैं।
और भी बहुत कुछ, मतलब बहुत ही ज़्यादा कुछ होने लगा कबाड़े से।
पता करना।
मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा,
कि क्या करें।
अब कबाड़ा बेंच दें,
या कबाड़ा कर लें। -चालाक
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