Friday, November 4, 2022

अर्थ ही धन है?

अर्थ ही धन है?
या धन का भी कोई अर्थ है?

कुछ लोग कहते हैं कि व्यर्थ है धन,
पर लगता है कि, सबसे समर्थ है धन।

शुभकामनाएं धनतेरस की
धन्वंतरियों को कुबेर बनाते इस युग में। 
हमारा धन तो, अतिदुर्दिनो में है, 
चीतों के इस भागते युग में भी ।

पूजिए अपने धन को, 
जो छुपा कर रखा जाता है। 
हमारा धन तो दिखाया जाता है।
यकीन मानिए वह चलता-फिरता,
खाता-पीता भी है, मल मूत्र भी देता है।
हंसता है, रोता है, बोलता है, 
भाषा समझना होती है।

जीवन में पहली बार जिसे,
"धन" सुना-देखा, कहा-जाना,
वो ही पूजा जाता है,
आज भी दिवाली में।

रुपया, चांदी, सोना, हर-बखर,
सब कुछ, यहां तक कि अन्न देवता को भी,
धन नहीं कहा गया।

सिर्फ वही धन था, 
जो अब आवारा के प्रयत्य से,
परिभाषित हो गया है।

बाकी कुछ और होता होगा,
धन तो मवेशी ही थी किसान की।

संज्ञा पहले बनी या परिभाषा,
पूछना भाष्यकारों से।
आप तो जानो
संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानी गईं,
धन की कुछ समावेशी परिभाषाएं।
आप भी जानिये, धन को।
-चालाक
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कि आप हमें अनुग्रहित करेंगे,,
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आप इसको भी पढ़ सकते हैं-  बेचारे धृतराष्ट्र



 

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