Tuesday, November 1, 2022

तमाशा

अब तक रहे आम, 
अब कुछ ख़ासा कर लेते हैं।

चलो चौराहे पर तमाशा कर लेते हैं।

ये बस्ती बड़ी भोली है,
यहां के लोग बिन जाने-समझे ही,
आशा कर लेते हैं।
और कल का भरोसा भी क्या,
अभी सब नींद में हैं।

गरीबों को सोना मुनासिब नहीं कहकर,
हम यहां सोने को कांसा कर लेते हैं।
चलो चौराहे पर तमाशा कर लेते हैं।

उस दिन की फिक्र हम भी क्यों करें,
जब लुटे लोग निराशा कर लेते हैं।
पाना हमें भी दफीना ही है,
इसलिए अब खोदने का नाम, तराशा़ कर लेते हैं।
चलो चौराहे पर तमाशा कर लेते हैं।

चांद दूर है तुमसे, ये सच क्यों कहें
खेल मां यशोदा का कर लेते हैं।
चलो चौराहे पर तमाशा कर लेते हैं।

पोल खुलेगी तो, ये भी क्या कर लेंगे,
अब तक लोग, ठगे जाने पर क्या कर लेते हैं।।

मौका मिला है, चलो कुछ ऐसा कर लेतेे हैं।
लाठी उठाए बिना ही, आज़ नाग दमन कर लेते हैं।
एक बार फिर कर लेते हैं...............
चलो चौराहे पर तमाशा कर लेते हैं?
-चालाक
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